आज नराकास कांडला के तत्वावधान में दीप स्तंभ एवं दीप पोत निदेशालय गांधीधाम के द्वारा हिन्दी की संयुक्त कार्यशाला का आयोजन किया गया।समय था अपराह्न तीन से पांच बजे तक का ।मंच संभाला श्री नरेश... moreआज नराकास कांडला के तत्वावधान में दीप स्तंभ एवं दीप पोत निदेशालय गांधीधाम के द्वारा हिन्दी की संयुक्त कार्यशाला का आयोजन किया गया।समय था अपराह्न तीन से पांच बजे तक का ।मंच संभाला श्री नरेश कुमार जी ने ।सभा के अध्यक्ष थे श्री मिश्रा सर,निदेशक, दीप पोत निदेशालय गांधीधाम।साथ मंचस्थ थे उपनिदेशक निमारे सर, आज की कार्यशाला की मुख्य वक्ता विम्मी सदारंगाणी मैडम, विभागाध्यक्षा, तोलानी महाविद्यालय एवं नराकास के सदस्य सचिव एवं दीनदयाल पोर्ट ट्रस्ट के हिन्दी अधिकारी हरफनमौला श्री शैलेन्द्र पांडेय सर।नीचे बैठे थे हम सभी विभिन्न विभागों से आये प्रतिभागी वृंद। माननीयों को पुस्तक प्रदान कर स्वागत की परंपरा का निर्वहन हुआ ।
आज के अध्यक्ष श्री मिश्रा सर का उद्बोधन इतना मार्मिक एवं सटीक था कि हमसभी को कभी भी विस्मृत नहीं होगा । उन्होंने ने अपने स्वयं के चीन एवं टर्की के संस्मरणों से यह अवधारणा सुस्पष्ट कर दी कि संपर्क सुत्र की भाषा का दायित्व हमारी हिंदी देशाटन/ विदेश प्रवास में भी वखुबी निभाती है ।सर की संवाद शैली प्रतिभागियों को मंत्रमुग्ध कर गयी। तदोपरांत हमारे सदस्यसचिव ने माइक संभाला । पांडेय सर आज पुरे मुड में थे ।उन्होंने राजभाषा हिंदी की संवैधानिक स्थिति एवं राजभाषा की तिमाही/छमाही प्रतिवेदन भरने के दौरान आनेवाले सभी मुख्य विंदुओं पर विशद चर्चा उपस्थित की ।नराकास के अंशदान एवं निकलने वाली पत्रिका संवाहिका की भी चर्चा हुई।लग रहा था किसी सेमिनार में कोई विशेषज्ञ पेपर पढ़ रहा हो।अंत में सदारंगाणी मैडम की मधुर वाणी मुखरित हुई ।राजभाषा हिंदी, अनुवाद के विविध आयाम, सामांतर कोश, सी बैंक का प्रवाह एप्प आदि सभी तटों को छुती उनकी नौका ने किनारे पर लंगर डाला सभी विभागों के आर्षवाक्य की एक गतिविधि के उपरांत।एक अत्यंत ही सरस एवं ज्ञानवर्धक सत्र ।अंत में धन्यवाद ज्ञापन के संग आज का यह सत्र संपन्न हुआ।
"दीप स्तंभ के प्रकाश में" शीर्षक पुस्तक पच्चीस प्रतिभागियों को प्रदान की गयी। बोतलबंद पानी एवं गरमागरम चाय, कलम कापी के संग फोल्डर और उत्तम जलपान दीप पोत निदेशालय के अतिथि सेवा की भावना के गवाह रहे ।इस तरह एक अत्यंत सार्थक कार्यशाला संपन्न हुई।